तेरी यादो का यह अजीब सा सिलसिला हैं ,,
तेरे पास न होने पर भी तेरे साथ का अहसास मुझे होता हैं ,,
इस गुमां मे रहता हू अक्सर मैं, कि तू मेरे साथ हैं हर पल मेरी हर राह मे हमराह हैं ....
मेरी सोच की मुक्कदश सी तू अजीब सी दास्तां हैं ,,
मेरे वजूद मे तू इस कदर शामिल सा हैं , की हर पल तेरी आँखो की नमी भी मुझे दिखती हैं ,,
आज फिर तू मजबूर हैं शायद, की तेरी मजबूरी की दास्तां यूँ आसमा ने बयां की हैं ,,
कि तेरे अश्कों की नमी को मुझ तक उसने बारिश की बुंदों में पहुचा दी हैं ,,
यूँ ही बेवजह पहली बारिश का नाम नहीं होता कुछ तो खास होगा की पहली बारिश मे हर शख्स अपने वजूद मे झाँकता हैं ,,
कही किसी छोर मे छुपाये अपनी असली ज़िंदगी को आंकता हैं ,,
भूल जाता हैं अपनी सारी हदे वो अक्सर , याद आता हैं वो एक चेहरा मयस्सर ,,,
जिसे उसने कभी पाने की गुजारिश की थी , जिसके साथ ऐसी बारिस मे भीगने की ख्वाहिश की थी ....
मैं खुद को तुझमे यूँ ही देखता हूँ एे हमनशीं अक्सर , की इस बारिश मे केवल मैं हू तू हैं और खयालो का कारवां सा हैं ,,,,
सच तो यह हैं की तू इस तरह जुडा हैं मुझसे ,की अगर मैं कोई शख्स हु तो तू शख्सियत हैं मेरी ,,
तू आरजूँ हैं मेरी , मेरा जुनून हैं, तू लब्ज हैं मेरा , मेरा शुकुन हैं ......
तू इश्क हैं मेरा , मेरी हर साँस हैं तू पहचान हैं मेरी , मेरी आवाज हैं --
हा तू मेरी आवाज हैं -!!2!!""
मंगल सिंह
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