बागों का फूल वो खिलाना
चिड़ियों का वो शोर मचाना
आंगन में तुलसी मैया के
पौधे को जल पान कराना
माँ का वो घर को सजाना
बहना का वो प्यार लुटाना
नन्हें से बच्चों का वो
सुबह शाम ही शोर मचाना
कहानी को दादी से सुनना
रात को मीठे सपने बुनना
सुबह देव को तिलक लगाना
हाथ जोड़कर भोग लगाना
पूजा की वो थाल सजाना
आरती में वो साथ में गाना
पढ़ते पढ़ते खेलों में ही
एक दिन वो अफसर बन जाना
पापा की उस सीख को पाना
माँ के हाथ का खाना खाना
सबके हाथ मिलाकर ही तो
बनता है अपना आशियाना.... |
उमेश पंसारी
सुभाषमार्ग इंग्लिशपुरा सीहोर, मध्यप्रदेश