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Friday, October 17, 2008
वे सोते रहे
कुछ हुआ उनके घर के पास पर उन्हें भनक तक न लगी वे आराम से मखमली गद्दों पर सोते रहे और बाहर लोग रोते रहे पर उन्हें भनक तक न लगी क्योंकि उन चीखों मे उनके “अपनों” की चीख न थी जिससे उनको भनक लगती
3 comments:
sunder bhaaw hain
bahut hi accha likha ha
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