भवन की नयी कहानी
थोड़ा काम और लंबी
वाणी
अपनी चर्चा लंबी कहानी
दिन भर सोचे लाभ हानि
देखने और दिखाने की
वृति
सब खोकर बनायें अपनी
कृति
हम और हमारी माया
भौतिक लाभ और सुखमय
काया
सेवा की संज्ञा मिलने
भर देर
लूट जितना हो देर
या सवेर
कोई अगर करे न चर्चा
फँसा दो लगा कर मर्चा
कूद-कूद कर बिछा दो
जाल
होगा शांत लूटो भरकर
माल...
मई अंक
राजीव सिंह
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