माँ, काश! मैं लड़का होती
भँवरो की तरह घूमती,
मस्त पवन में झूमती,
रात के अंधेरों से न डरती,
काश! मैं लड़का होती |
माँ ! अगर मैं लड़का होती,
तो दादी कितनी खुश होती,
लड्डू बटते, ढोल बाजे पिटते,
गली गली में माँ ,तुम्हें दुआएँ मिलती |
माँ ! अगर मैं लड़का होती,
तो मस्ती से मैं स्कूल जाती ,
देरी की चिंता तुम्हें न सताती ,
जीन्स और शर्ट में बाहर घूमती,
न बुरी नज़र लगती और सितारों को मैं चूमती |
माँ ! अगर मैं लड़का होती,
तो ट्यूशन रात को भी चली जाती,
न ही होता मेरा होस्टेल बंद,
बिल्कुल बिंदास, मुझे क्या डर ?
माँ ! अगर मैं लड़का होती,
तो नौकरी के लिए दूर भी चली जाती,
न रहने की चिंता और दोस्तों का साथ,
नौकरी की खुशी और घर लगता बड़ा पास |
माँ ! अगर मैं लड़का होती,
तो न झेलने पड़ते प्रमोशन के लिए शोषण,
बसों में न पड़ते बेफिजूल धक्के,
और न ही रेल में स्पेशल लेडिज कंपार्ट्मेंट |
माँ ! अगर मैं लड़का होती,
तो दहेज की चिंता तुम्हें न सताती,
न सास के ताने सुनती और न दहेज की बलिचढ़ जाती,
काश! मैं लड़का होती |
माँ ! अगर मैं लड़का होती,
मोटरसाइकल के चक्कर जरूर लगाती,
और लड़कियाँ देखकर,
ताने या सीटियाँ नहीं बजाती|
माँ, उन्हें मैं इज्जत देती,
हमारी बहनें ,बेटियाँ और माँ हैं,
इतनी सहनशक्ति और धैर्यता,
वे लड़कियाँ नहीं देवी माँ हैं |
माँ, उनका मैं सम्मान करती ,
भला अपनी माँ, बहन या बेटी को भी कुछ कहता है ?
हर व्यक्ति अगर यही सोचे ,
तो समाज दुष्कर्मों से बचता है |
मत करो नारी जाति का अपमान,
यह पाप और हमेशा खतरे में है उनके प्राण,
मत नोचों, मत बाँटो,
जानवरों की तरह इन्हें मत काटों,
हम भी है इंसान,
इस नरक से बचाने के लिए मुझे भी बना दे लड़का, हे भगवान !
हरप्रीत कौर
लुधियाना, पंजाब
10 comments:
bahut sundar kavita hai.... aise hi lekhan zari rakhiye. meri shubhkamnaye apke sath hain
Thanks a lot...
and thanks to Kavyarachna too...
awesome mind blowing...continue...
harpreet...very nice poem..keep it up......
nice poem bai....nice
congrates or winning
dher saari badhaeyaan ..
bahut achchhi rachna hai...
Thanks to all....
awesome wrk..keep it up
superlyk...thumps up for ur poem
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