संस्कृति की संवाहक
मानवीय एवं रसात्मक
मैं कला हूँ
भारतीय कला
ललित कला
कहीं एक हूँ
तो कहीं अनेक
शास्त्रों में
साहित्य में
वाङ्मय में
श्रुतियों और
स्मृतियों में
मैं चौंसठ रूपों में
व्याप्त हूँ
मैं कला हूँ
भारतीय कला
चित्रकला
ललितकला
और हस्तकला
मेरी वक्रता
आनन्द और आस्वाद में
मुखरित होती है
कैलाश से लेकर
बृहदेश्वर तक
प्रतिबिम्बित होती है।
मैं ही लेखक की लेखनी हूँ
चित्रकार की तूलिका
मूर्तिकार की साधना
और............
नर्तक-गायक की आराधना।
12 comments:
कला और कलाकार
सृष्टि और सर्जना
सर्जक एवं संहारक
मानवीयता एवं पशुता
कला तो सबकी तूलिका है
बहु शोभनम्
तत त्वम् असि ...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...
प्रभावोत्पादक ।
कला को खूबसूरती से परिभाषित करती सुन्दर रचना |
लेखक की लेखनी हूँ
चित्रकार की तूलिका
मूर्तिकार की साधना
और............नर्तक-गायक की आराधना।
sundar prabhshali rachna...
लेखक की लेखनी हूँ
चित्रकार की तूलिका
मूर्तिकार की साधना
और............नर्तक-गायक की आराधना।
sundar prabhshali rachna...
लेखक की लेखनी हूँ
चित्रकार की तूलिका
मूर्तिकार की साधना
और............नर्तक-गायक की आराधना।
sundar prabhshali rachna...
बहुत सुंदर
अच्छा लिखते हैं आप ..अच्छी लगी आपकी अभिव्यक्ति .. आभार
वाह...बहुत बहुत सुन्दर...
बहुत सही कहा आपने...
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