प्रातः
काल उठते ही कर ले, नियत प्रभु का ध्यान
।
दुःख
दर्द हर लेंगे सारे, देंगे प्राणों को
त्राण ।
वो हैं
दयानिधान ॥
करूणापती
करूणा के सागर, धन से हैं भरते वो
गागर ।
लोभ मोह
का नाम मिटाकर, करते मोक्ष प्रदान ।
वो हैं
दयानिधान ॥
अक्टूबर अंक
निरज कुमार सिंह
(छपरा, बिहार)
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