Friday, November 17, 2017

मेरी माटी : नीलू मलिक

सबसे सक्षम मेरी माटी 
सुगंध इसकी भीनी-भीनी 
वसंत, ग्रीष्म, वर्षा
हेमंत, शिशिर, शरदऋतु 
छः ऋतुओं की यह है रानी 
आंचल में इसके कश्मीर की घाटी 
श्वेत हिमालय बना श्रृंगार 
नित पहिनाता इस माटी को 
अमूल्य हिम् तुषार हार 
नाना धान्यों से गोद भरी है 
श्रेष्ठ- मौसमी फलों की झरी है 
लहराते सागर इस पर 
बहती नदियाँ कल- कल निर्झर
बने अमूल्य जल- निधि भण्डार 
यह पारस यह हीरा 
यह सोना ये मोती 
खनिज धातु अमूल्य 
इस माटी के अंश हैं सभी 
कई रहस्य गुप्त हैं अभी 
कहने को मटमैला है रंग 
हज़ारो रंग इसीसे उभरे 
असंख्य फसलें हैं निखरे 
मिट्टी का भी क्या स्वाद है 
हर स्वाद की यही बुनियाद है 
फूल- फूल में इसकी खुशबू 
कण्ड- कण्ड में है इसका जादू 
हर प्राणी में तत्व इसीका 
जन्मदात्री सबकी यही है माता 
यही है अंतिम आश्रय- दाता 
यह चाहे तो केहर मचादे
करदे ज़न्नत, हर वीराँ घाटी 
सबसे सक्षम मेरी माटी 

1 comment:

Mamta Tripathi said...

सच में माटी अनमोल है। बहुत सुन्दर।