Friday, December 29, 2017

नयी शुरुआत.. रेनू वर्मा

सर्द लहरें भयानक तूफान,
जीने की जदोजहद, डूबते अरमान 

कुछ अनकहे शब्द, कुछ अनसुलझे सवाल 
खुद को खोने का गम, सब कुछ ख़तम होने का एहसास 

सब जाना पहचाना, सब अनजान सा लगता है 
क्यों लगता है बहुत कुछ बीत गया, अब थम जाना चाहिए 

वक़्त भी रुक गया है और मैं भी रुक गयी हूँ 
ये अंत है या कोई नयी शुरुआत.

3 comments:

Unknown said...

Nice poem...!!!

GangaRksh said...

Good one...

Kamal kishor said...

Nice lines said , hey renu keep it up