ठण्डी सुबह थी,
शांत था मन
देखा जब पहली बार उसे,
शांत था मन
देखा जब पहली बार उसे,
आनन्द मन का कैसे जताऊं
लफजो में ना हो सके वयां,
एहसास वो कैसे सुनाऊं
लगा ऐसा जैसे की,
सपनों की रानी मिल गई
मेरी अधूरी कहानी को,
पूरा करने वाली मिल गई
दीदार हुये उसके बार बार,
तीर दिल के किये आर पार
घायल कर गिरा दिया मुझे,
ख्वावो में फसा दिया मुझे
पता नहीं क्या बात थी,
उसमें जो मेरे दिल को भा गई
जैसे चाहा ईश्वर ने,
और वो मेरे सामने आ गई
स्कूल जाता था,
पढाई के लिये
पर अब जाता था,
नयन लडाई के लिये
हवा से झोखे की तरह ,
वो निकल जाती थी जैसे
उन्हीं पलों में सारी,
लफजो में ना हो सके वयां,
एहसास वो कैसे सुनाऊं
लगा ऐसा जैसे की,
सपनों की रानी मिल गई
मेरी अधूरी कहानी को,
पूरा करने वाली मिल गई
दीदार हुये उसके बार बार,
तीर दिल के किये आर पार
घायल कर गिरा दिया मुझे,
ख्वावो में फसा दिया मुझे
पता नहीं क्या बात थी,
उसमें जो मेरे दिल को भा गई
जैसे चाहा ईश्वर ने,
और वो मेरे सामने आ गई
स्कूल जाता था,
पढाई के लिये
पर अब जाता था,
नयन लडाई के लिये
हवा से झोखे की तरह ,
वो निकल जाती थी जैसे
उन्हीं पलों में सारी,
जिन्दगी गुजर जाती थी
-Dushyant Sinsinwar