आशा ही
मेरे जीवन की परिभाषा है।
बस यही शब्द मेरे जीने की आशा है॥
एक शब्द भी दे सकता है
जीवन
सिखा सकता है
जीवन का राग,
भर सकता है
जीवन में अनुराग।
और उसमें
फूलों की सुगन्ध बसा सकता है
एक शब्द,
एक शब्द ही तो है आशा
जिसके सहारे जीवन चला करता है।
हारना भी एक शब्द ही है
जीतना भी एक शब्द ही है
शब्द ही है दुःख और सुख
शब्द ही है हास और रुदन
शब्द ही है जीवन की जीवन्तता
शब्द का अस्तित्व ही अनुभूति है।
हमारे होने का
शब्द का अस्तित्व ही प्रतीति है।
हमारे जीने का
शब्द ही भय है
शब्द ही साहस
अन्यथा..........
निःशब्द से भला कोई
डरता है?
शब्द ही शासन करता है।
शब्द से ही शासन चलता है।
आशा और विश्वास सब तो शब्द ही है
तो..................................
आइये हम
शब्द का संधान करें
शब्द की साधना करें,
शब्द की अर्चना करें,
शब्द की वन्दना करें,
शब्द की आराधना करें।
3 comments:
बहुत अच्छा । शब्द न होते तो भला हम कैसे बोल पाते.किसी अन्य की अनुभूति जान पाते.............और अपनी बात किसी से कह पाते।
badhiya kavita likhi hai.
aapki kavya kala ka pahle mujhe thik se parichay nahi tha.
I am inspired bye you
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