देश वही बस बदल गये हम,
धर्म-जाति के भागो में।
अपनो ने अपनापन भूला,
बाँट लिया दो भागो में।।
कभी सिन्धु तक फैला भारत,
आज बटा कुछ भागो में।
अपनो ने कश्मीर भी बाँटा,
बाँट लिया दो भागो में।।
सत्ता का लालच सिर पर,
खूब चढा उन भागो में।
अपनो ने जिन्ना-जवाहर बाँटे,
बाँट लिये दो भागो में।।
आजादी के उन वीरो को,
भूल गये कुछ यादों में।।
अपनो ने हिन्दुस्तान भी बाँटा,
बाँट लिया दो भागो में।।
आजादी की वो दुखी शाम थी,
घुटी-घुटी कुछ यादो में।
अपनो ने उस खुशी को बाँटा,
बाँट लिया दो भागो में।।
देश वही बस सोच थमी है,
उस दौर की यादो में।
अपनो की लालच ने बाँटा,
बाँट लिया दो भागो में।।
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