Thursday, April 23, 2020

राम काज में व्यस्त हूँ! यमुना धर त्रिपाठी

राम काज में व्यस्त हूँ!


मौन हूँ,
प्रसन्न हूँ,
स्वयं में ही मस्त हूँ,
राम काज में व्यस्त हूं!

निःशब्द हूँ,
निर्द्वन्द्व हूँ,
भविष्य से आश्वस्त हूँ,
राम काज में व्यस्त हूँ!

स्वानन्द हूँ,
स्वच्छंद हूँ,
स्वयं ही विश्वस्त हूँ,
राम काज में व्यस्त हूँ!

स्वतंत्र हूँ,
गणतंत्र हूँ,
स्वयं का महत्व हूँ,
राम काज में व्यस्त हूँ!

सजीव हूँ,
सुगन्ध हूँ,
प्रकृति का ही तत्व हूँ,
राम काज में व्यस्त हूँ!

साकार हूँ,
सभार हूँ,
धातु का तारत्व हूँ,
राम काज में व्यस्त हूँ!

अनुबन्ध हूँ,
अवतार हूँ,
जनमानस का अपनत्व हूँ,
राम काज में व्यस्त हूँ!

©यमुना धर त्रिपाठी
PGT हिंदी एवं संस्कृत
बरोडा पब्लिक स्कूल
वड़ोदरा, गुजरात।

अप्रैल अंक 

8 comments:

Unknown said...

बहुत ही सुंदर रचना 💐🙏
माँ वाग्देवी की कृपा निरंतर आप पर बनी रहे,
आपके हृदय पटल पर नित नवीन भावाभिव्यक्ति प्रस्फुरित होती रहे 💐

प्रवीण कुमार त्रिपाठी said...

बहुत सुंदर रचना 🙏

यमुना धर त्रिपाठी said...

शुभकामना हेतु सस्नेह आभार...!

यमुना धर त्रिपाठी said...

प्रशस्ति हेतु अनेकाधिक आभार प्रवीण जी!

आचार्य अंजनेश त्रिपाठी said...

बहुत ही सुंदर रचना 💐🙏
माँ वाग्देवी की कृपा निरंतर आप पर बनी रहे,
आपके हृदय पटल पर नित नवीन भावाभिव्यक्ति प्रस्फुरित होती रहे 💐

Yamuna Dhar Tripathi said...

शुभकामना हेतु स्नेहिल आभार...!

Surendra Kumar Dwivedi said...

प्रेरणाप्रद रचना..!

Mamta Tripathi said...

वाह। बहुत सुंदर, सरस, मधुर रचना।