!!माँ!!
साथ रहे तन्हाइयों में,
हृदय की गहराइयों में,
विपदा भरी परिस्थितियों में,
हर दिवसों और हर तिथियों में,
करे सामना हर संकटों का,
है समाधान हर विकटों का,
वो कौन सा है नेह,
वो है माँ का स्नेह।
अश्रु की बारिशों में,
द्वेष की तारिशों में,
देती है हरदम साथ मेरा,
हाथों में लेकर हाथ मेरा,
कृतज्ञ हूं मैं उसका,
उस पर कुर्बान सब कुछ अपना,
जीवन भर करता रहूंगा, बस उसकी आराधना,
क्षण भर में अपना सब कुछ, उसने मुझ पर बलिहार किया,
सबसे लड़कर, सबसे बढ़कर, उसने मुझसे ही प्यार किया।
मुझे है सब मालूम,
मुझे है सब ज्ञात,
वो कौन सा है नेह।
वो है माँ का स्नेह।।
यमुना धर त्रिपाठी
बरोडा पब्लिक स्कूल,
वड़ोदरा, गुजरात।
अप्रैल अंक
9 comments:
अद्धभुत, हृदय को छूने वाली रचना!!👍
बहुत सुंदर रचना ������
नहि माता समुपेक्षते सुतम्
मर्मस्पर्शी...!
हृदयस्पर्शी लेख भैया जी 💐🙏
कुपुत्रो जायेत् क्वचिदपि कुमाता न भवति 🙏
बहुत ही सुन्दर भैया!
बहुत सुन्दर रचना यमुना धर जी।
सुन्दर और मार्मिक रचना...।
उचित भावों के साथ सार्थक शब्दों का समन्वय ही आपकी रचनाओँ को अद्वितीय बना रहा है। बहुत ही सुन्दर रचना ।
मेरी कविता माँ और कोख को एक बार देख कर उचित मार्गदर्शन करें ।https://kuchhadhooribaate.blogspot.com/2020/04/blog-post.html
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