राम काज में व्यस्त हूँ!
मौन हूँ,
प्रसन्न हूँ,
स्वयं में ही मस्त हूँ,
राम काज में व्यस्त हूं!
निःशब्द हूँ,
निर्द्वन्द्व हूँ,
भविष्य से आश्वस्त हूँ,
राम काज में व्यस्त हूँ!
स्वानन्द हूँ,
स्वच्छंद हूँ,
स्वयं ही विश्वस्त हूँ,
राम काज में व्यस्त हूँ!
स्वतंत्र हूँ,
गणतंत्र हूँ,
स्वयं का महत्व हूँ,
राम काज में व्यस्त हूँ!
सजीव हूँ,
सुगन्ध हूँ,
प्रकृति का ही तत्व हूँ,
राम काज में व्यस्त हूँ!
साकार हूँ,
सभार हूँ,
धातु का तारत्व हूँ,
राम काज में व्यस्त हूँ!
अनुबन्ध हूँ,
अवतार हूँ,
जनमानस का अपनत्व हूँ,
राम काज में व्यस्त हूँ!
©यमुना धर त्रिपाठी
PGT हिंदी एवं संस्कृत
बरोडा पब्लिक स्कूल
वड़ोदरा, गुजरात।
अप्रैल अंक
8 comments:
बहुत ही सुंदर रचना 💐🙏
माँ वाग्देवी की कृपा निरंतर आप पर बनी रहे,
आपके हृदय पटल पर नित नवीन भावाभिव्यक्ति प्रस्फुरित होती रहे 💐
बहुत सुंदर रचना 🙏
शुभकामना हेतु सस्नेह आभार...!
प्रशस्ति हेतु अनेकाधिक आभार प्रवीण जी!
बहुत ही सुंदर रचना 💐🙏
माँ वाग्देवी की कृपा निरंतर आप पर बनी रहे,
आपके हृदय पटल पर नित नवीन भावाभिव्यक्ति प्रस्फुरित होती रहे 💐
शुभकामना हेतु स्नेहिल आभार...!
प्रेरणाप्रद रचना..!
वाह। बहुत सुंदर, सरस, मधुर रचना।
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