आगे ही कदम बढ़ाएंगे
रहकर स्निग्ध-शांत-सरल,
कर विपत्ति-व्यथा-दुख को ओझल,
सम-शांत भाव अपनाएंगे,
आगे ही कदम बढ़ाएंगे।
आंधी-तूफानों को सहकर,
तप-त्याग-तपस्या कर के निखर,
जीवन दीप जलाएंगे,
आगे ही कदम बढ़ाएंगे।
जल-प्रपात या झंझावात,
प्रचण्ड बवंडर, चक्रवात,
भंवर को दूर भगाएंगे,
आगे ही कदम बढ़ाएंगे।
उपदेश सदा कर आत्मसात,
डिगा सके किसकी विसात?
अति सौम्य-भद्र बन जाएंगे,
आगे ही कदम बढ़ाएंगे।
कलह-टक्कर-मुठभेड़-होड़,
संघर्ष-शत्रुता फोड़-तोड़,
अनुराग बीज बो जाएंगे,
आगे ही कदम बढ़ाएंगे।
युगवेदव्यास करें समीक्षा,
अपने श्रेष्ठ कार्यों का,
पांचजन्य बजाएंगे,
आगे ही बढ़ते जाएंगे।
-यमुना धर त्रिपाठी
जून अंक
No comments:
Post a Comment