हे वीर तुम चले चलो
हे वीर तुम चले चलो
रुको ना तुम
झुको ना तुम
सत्य के मार्ग से हटो ना तुम
अपने साथ सिर्फ़ निस्चय कर
यह तुम तीन मंत्र लिए चलो।
हे वीर तुम चले चलो ,
हे वीर तुम चले चलो ।
अपने सीने में आग तुम लिए चलो
अपने सीने में ये चिराग तुम लिए चलो
अपनी रोशनी से इस जहां को
रोशन करने का ख्वाब तुम लिए चलो
हे वीर तुम चले चलो,
हे वीर तुम चले चलो।
तुम सोच कर चलो ,
तुम विचार कर चलो
इस राह की मुसीबतों को पार कर चले चलो
हे वीर तुम चले चलो,
हे वीर तुम चले चलो।
आकर्षण राय
जून अंक
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