काश आकाशीय
पक्षियों की तरह
मेरे भी पर होते
मैं भी आकाश में उड़ सकता
मै भी आकाश से बातें कर सकाता
मैं भी पूरी धरती देख सकता
मैं भी घोसलों में
रह सकता
मैं भी पक्षियों के खाद्य खा सकता
तो कितना अच्छा होता
शान्ति से तो जी सकता
शान्ति से तो रह सकता
घर बनाने का कोई झंझट
नही होता
घोसले में ही सो सकता
पैसे बटोरने की कोई चिन्ता नही होती
सन्तोष से जी सकता
मानवों की बात नहीं सुनता
सुनकर भी नज़र अन्दाज़ करता
तब मेरे कितने मज़े होते
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