आओ एक प्रदीप वह बालें, जो वसुधा के तम हर ले !
पीड़ित- विकल- दग्ध प्राणों को करुणा-कर( किरण) से सहला दे,
कुछ पल को ही कुछ क्षण को ही
उनकी पीड़ा कम कर दे !
आओ एक प्रदीप वह बालें जो वसुधा के.....
-जो गर्वित हैं, मद में डूबे,
मन में केवल अहम् भरा,
वह भी समझें पीर पराई
उष्मा से मन पिघला दे !!!
आओ एक प्रदीप वह बालें
पथ से भ्रष्ट ,वक्र -पथगामी,
जो विवेक से हीन हुए,
सच्ची राह उन्हें दिखला कर चलने को प्रेरित कर दे!!
आओ एक प्रदीप वह बालें जो वसुधा के
जो अबोध है और अज्ञानी
नहीं समझ है दुनिया की
देकर ज्योति ज्ञान की उनको
जग- मग- जग प्रकाश भर दे
आओ एक प्रदीप वह बालें जो, वसुधा के तम हर लें ।।।।।।
सरोजिनी पाण्डेय
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