उत्साह बनाए रखना है,
सुख या दुःख हर हाल में,
टेढ़ी-तिरछी चाल में,
भूलोक या पाताल में,
अभी और इस साल में,
समृद्ध या बदहाल में,
गुस्से में या आम बोल-चाल में,
निर्धनता या मालामाल में,
स्वयं हृदय में रखना है।
उत्साह बनाए रखना है।।
दुनिया के कण-कण में,
अनवरत या एक क्षण में,
शांतिकाल में या रण में,
समाज या फिर मरुवन में,
सघन क्षेत्र या निर्जन में,
अपने तन में या मन में,
आज या फिर जीवन मे,
यह बात बताए रखना है।
उत्साह बनाए रखना है।।
यमुना धर त्रिपाठी
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