Friday, September 5, 2008

कोसी का कोप

कोसी का कोप
इतना भयानक होगा
हमारी सरकार
अमारे नौकरशाहों नें
स्वप्न में भी
सोंचा नही होगा
तभी इस विपत्तिके
पूर्वानुमानों के बाद भी
उनकी कुम्भकर्णी निद्रा
भंग नही हुई थी
वे काग़ज़ों के ढ़ेर में
मुलायम तकियों का सहारा ले
शुतुर्मुर्गी समाधान ढ़ूढ़ रहे थे
और जब
बिहार डूब रहा है
वहाँ तबाही मची है
त्राहि माम् त्राहि माम्
का करुण स्वर
सर्वत्र वातावरण में
गूँज रहा है
जब जन-धन-स्थल
सब दूब रहा है
तब वे शाक्ड हैं
कह रहे हैं
क्या हो रहा है
मुझे तो इसका अन्दाज़ा
ही नही था
और सब चीजों
में तो अमेरिका की नकल
करनें में हम
सबसे आगे हैं
या यो कहें कि
अमेरिकन से भी
आगे हैं
पर किसी अच्छी चीज़ की
नकल के समय
हमारी बुद्धि
कुंद क्यों हो जाती है
हम अच्छाई की
नकल क्यों नही करते?
आज यदि हम
उसकी नकल किये होते
उसके पदचिह्नों
पर सचमुच चले होते
उसकी अच्छाइयों को
आत्मसात् किये होते
तो................
जैसे उसने गुस्ताव से बचाव किया
वैसे हम भी
बचाव के उपाय किये होते
कमसे कम इत्नी तबाही से तो
बच गये होते

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