Thursday, September 11, 2008

कल तलक उनका बड़ा शोर था

कल तलक उनका बड़ा शोर था
हर तरफ़ उनके नाम का ही रोर था
कोई नही जानता था बात क्या है?
आखिर उनकी बिसात क्या है?
पर...........
जब एक दिन सीबीआई का
छापा पड़ा उनके घर
जब सूखने लगे "उनके" अधर
तब सबको समझ में आया
कि आखिर बात क्या है
उनकी ये बिसात क्या है
बसती हैं ऎसे लोगो के घर लक्ष्मी
आखिर इसकी बात क्या है
पर...............
लोगों ने यह भी देखा कि
लक्ष्मी का बसना कुछ भी नही होता
बिसात से भी कुछ नही होता
जब न्याय के प्रहरी सजग होते है
जब अत्याचार के पलड़े भारी होते है
तब ये लक्ष्मीपति सीबीआई को
द्वार पर देख कर बगलें झाकने
लगते हैं
तब इनका तथाकथित स्वाभिमान
धारा रह जाता है ।
यह स्वाभिमान मात्र
गरीबों को दिखाने के लिये होता है
जो नहीं जानते हैं इनकी हकीकत
या जानते हिए भी जाना नहीं चाहते
अलग कहीं के लिये
इनके पास स्वाभिमान जैसी
कोई चीज़ नही होती
पर इसका भी पोल
तब खुल ही जाता है
जग-जाहिर हो ही जाता है जब
सीबीआई द्वार पर होती है
कोई बड़ा रार छिड़ा होता है
जब वो तकरार पर उतरती है
तब इनका चेहरा नीचा होता है
शर्म से
ग्लाने से
या फर्जी स्वाभिमान की
पोल खुलने से हुई बदनामी से
तब पता चलती है इनकी बिसात

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